ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक 11 अगस्त, गुरुवार को ही प्रदोषकाल के समय भद्रारहित काल में अर्थात् 20 घं.- 53मिं. के बाद रक्षा-बन्धन पर्व मनाया जा सकेगा। यहाँ इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि प्रदोषकाल की समाप्ति से पूर्व (पहिले) ही रक्षाबन्धन कर लेना चाहिए।
(अर्थात् निशीथकाल आरम्भ होने से पहिले ।)

11 अगस्त, 2022 ई. को पंजाब, हरियाणा, हिमाचल-प्रदेश, जम्मू-कश्मीर आदि में प्रदोषकाल लगभग 19घं.-11मिं. से 21घं.-50 मिं. तक रहेगा।

11 अगस्त, गुरुवार को सभी धर्मनिष्ठ लोगों को भद्रा समाप्ति 20घं.-53मिं. बाद तथा 21घं.- 50मिं. से पहिले अर्थात् 1 घण्टे के भीतर रक्षाबन्धन कर लेना चाहिए। परन्तु अति आवश्यक परिस्थितिवश (यात्रा-भ्रमण सुविधा उपलब्ध न होने पर, फौज आदि में, ड्यूटी आदि कार्यों में आदि) परिहारस्वरूप

भद्रामुख (18घं.-20 मिं. से 20 घं.-02 मिं. तक) काल का विशेष रूप से त्यागकर

भद्रापुच्छकाल (17घं.-18 मिं. से 18घं.-20मि. तक) में भी रक्षाबन्धन करना शुभ एवं ग्राह्य होगा।

कार्येत्वावश्यके विष्टेः मुखमात्रं परित्यजेत् ।। (मुहूर्त्त – प्रकाश) इसके अतिरिक्त 11 अगस्त, गुरुवार को चन्द्रमा मकर राशिस्थ एवं भद्रा पाताललोक में होने से भी भद्रा का परिहार होगा। अतएव शास्त्रानुसार तो 11 अगस्त, गुरुवार को ही भद्रा के बाद प्रदोषकाल में (20:53 से 21:50 तक) रक्षाबन्धन मनाना चाहिए।


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